'स्तनपान' बच्चे के आलावा मां के लिए भी है 'वरदान'

'स्तनपान' बच्चे के आलावा मां के लिए भी है 'वरदान'

डॉ. पी.के. सिघंल

स्तनपान

बच्चों का मूल आहार दूध है और बच्चों को दूध पिलाने का सर्वोत्तम व सर्वमान्य तरीका स्तनपान है। शिशु के स्वस्थ विकास में स्तनपान की मुख्य भूमिका है। बच्चे के जन्म के एक घंटे के भीतर ही उसे स्तनपान शुरू करवा देना चाहिए। सिजेरियन ऑपरेशन द्वारा पैदा हुए बच्चे या किसी अन्य गंभीर स्तिथि में भी बच्चे को जितना जल्द हो सके, स्तनपान अवशय शुरू करा देना चाहिए।

दूध में होता है कोलेस्ट्रम

प्रारंभ के दो-तीन दिन बच्चे को बार-बार स्तन से लगते रहना चाहिए, इससे माता के स्तन में ज्यादा दूध उतरकर आता है। पहले के दो-चार दिन माँ के स्तन से बहुत कम दूध आता है, परंतु नवजात शिशु के लिए यह काफी होता है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद माता के स्तन से निकलने वाले दूध को कोलेस्ट्रम कहते हैं, जो कि हलके पीले रंग का होता है। इसकी मात्रा 8-10 चम्मच होती है।

स्तनपान के फायदे

नवजात शिशु को बाहर से दूध या पानी नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे को बीमारी होने का डर रहता है। शिशु को कम-से-कम पहले 6 महीने तक केवल स्तनपान ही कराना चाहिए। प्रारंभ में बच्चे को भूख लगने व रोने पर ही दूध देना चाहिए। यदि बच्चे को आधी रात में भी भूख लगी हो तो उसे अवश्य स्तनपान कराना चाहिए। माँ के दूध में पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, यह स्वस्थ होता है, संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है। इससे बच्चे को एंटीबाडीज प्राप्त होते हैं और बच्चे का विकास समुचित तरीके से होता है। इसलिए नवजात शिशुओं और बच्चों के लिए सर्वोत्तम आहार है। माँ के बीमार होने की स्तिथि में भी बच्चे को स्तनपान कराते रहना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान या बुखार, पेचिश, पीलिया आदि बीमारियों में भी स्तनपान कराना चाहिए। केवल डॉक्टर के मना करने पर ही स्तनपान रोकना चाहिए। दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलवा देनी चाहिए।

स्तनपान, महिला की आकृति को संवारने का एक प्राकृतिक तरीका है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में वसा की जो मात्रा एकत्र हो जाती है, उसका उपयोग स्तनपान द्वारा हो जाता है। शिशु जन्म के तत्काल बाद बच्चे को स्तनपान कराना शुरू कर देने से बच्चेदानी सख्त हो जाती है और रक्तस्त्राव को बंद होने में सहायता मिलती है। इससे प्रसव के पश्चात महिला की शारीरिक स्तिथि को भी सामान्य होने में सहायता मिलती है।

(लेखक दिल्‍ली के जाने माने फीजिशियन और जीवनशैली रोग विशेषज्ञ हैं। ये आलेख उनकी किताब फैमिली हेल्‍थ गाइड से साभार लिया गया है। प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित ये किताब hindibooks.org से मंगवाई जा सकती है)

 

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